17 जनवरी को मंदिर परिसर में देवता की प्रतिमा का आगमन

अयोध्या के राम मंदिर में ‘परिसर प्रवेश की मूर्ति’ एक भव्य और दिव्य अनुष्ठान है, जिसमें देवता की प्रतिमा को मंदिर परिसर में लाया जाता है। यह अनुष्ठान न केवल मंदिर की पवित्रता को बढ़ाता है, बल्कि भक्तों के दिलों में आस्था और भक्ति की भावना को भी प्रज्वलित करता है।

परिसर प्रवेश की महत्वपूर्णता: ‘परिसर प्रवेश’ का अनुष्ठान देवता की प्रतिमा को मंदिर के मुख्य स्थान पर स्थापित करने से पहले किया जाता है। इस दौरान, प्रतिमा को विशेष रूप से सजाया जाता है और भक्तों द्वारा विधिवत पूजा और आरती की जाती है।

अनुष्ठान की प्रक्रिया: इस अनुष्ठान में, प्रतिमा को सरयू नदी के पवित्र जल से स्नान कराया जाता है और फिर मंगल कलश के साथ मंदिर परिसर में लाया जाता है। इस दौरान, भक्तों की भीड़ ‘जय श्री राम’ के जयकारे लगाते हुए प्रतिमा का स्वागत करती है।

समारोह की भव्यता: ‘परिसर प्रवेश’ के दिन, मंदिर परिसर और आसपास का क्षेत्र भक्ति और उत्सव के रंग में रंग जाता है। भक्तों के गीत, नृत्य और आरती से पूरा वातावरण दिव्य और जीवंत हो उठता है।

निष्कर्ष: ‘परिसर प्रवेश की मूर्ति’ का अनुष्ठान राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह अनुष्ठान न केवल मंदिर की पवित्रता को बढ़ाता है, बल्कि भक्तों के दिलों में आस्था और भक्ति की भावना को भी प्रज्वलित करता है।