18 जनवरी तीर्थ पूजन, जल यात्रा, और गंधाधिवास: पवित्र जलों की पूजा, एक जुलूस, और सुगंधों का संचार
‘तीर्थ पूजन’, ‘जल यात्रा’, और ‘गंधाधिवास’ अनुष्ठानों का आयोध्या के राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में विशाल आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व है।
तीर्थ पूजन: इस अनुष्ठान में, पवित्र तीर्थों का जल लाकर मंदिर में अर्पित किया जाता है। यह जल भगवान राम की प्रतिमा की पूजा के लिए उपयोग किया जाता है।
जल यात्रा: इस अनुष्ठान में, भक्तगण सरयू नदी के पवित्र जल को मंगल कलश में लेकर जुलूस के रूप में मंदिर तक पहुंचते हैं। यह जल भगवान राम की प्रतिमा की पूजा के लिए उपयोग किया जाता है।
गंधाधिवास: इस अनुष्ठान में, मंदिर के परिसर में सुगंधित पदार्थों का संचार किया जाता है1. यह सुगंध मंदिर के वातावरण को पवित्र और शुद्ध बनाती है, और भक्तों को आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करती है।
इन अनुष्ठानों का उद्देश्य न केवल मंदिर को पवित्र और शुद्ध बनाना है, बल्कि भक्तों के दिलों में आस्था और भक्ति की भावना को भी बढ़ाना है। ये अनुष्ठान भारतीय संस्कृति और धार्मिक परंपराओं की गहराई को दर्शाते हैं।